Home रायगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष पर सस्पेंस ,संजय या सरिता?जन मानस की चाह संजय, पर क्या मंत्री जी के करीबी होने का लाभ सरिता को ?

जिला पंचायत अध्यक्ष पर सस्पेंस ,संजय या सरिता?जन मानस की चाह संजय, पर क्या मंत्री जी के करीबी होने का लाभ सरिता को ?

by P. R. Rajak Chief Editor
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जिला पंचायत अध्यक्ष पर सस्पेंस ,संजय या सरिता?सारंगढ संजय पाण्डेय के लगभग बारह हजार मतों से ऊपर से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जितने के बाद भाजपा समर्थितों को बारह सीटों पर विजय श्री का प्रसाद मिलने के बाद यह तय माना जा रहा है कि आगामी जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित अई ताजपोशी हो सकती है जिसमें अगर योग्यता से देखा जाए तो वर्ष 2005 में  जनपद अध्यक्ष  रहे संजय पाण्डेय ने अपने कार्यकाल में ही गौण खनिज मद लाकर कई क्षेत्रों को विकास की राह दिखाई थी  तो एक तरह से देखा जाए तो जन मानस की चर्चा परिचर्चा के अनुसार संजय पाण्डेय अगले जिला पंचायत अध्यक्ष हो सकते हैं क्योंकि उनकी जीत सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि उन्होंने कांग्रेस के सबसे बडे कद वाले नेता कांग्रेस जिलाध्यक्ष को बारह हजार से ऊपर मतों से हराया है परंतु ऐसी भी चर्चा है कि क्षेत्र के मंत्री जी के अति करीबी माने जाने वाले सरिता मुरारी नायक को अगला अध्यक्ष बनाया जा सकता है ।बहरहाल अब यह भविष्य के गर्त में है कि जनमानस की चर्चा सही होती है या फिर उच्चस्तरीय पैठ की राजनीति हावी होती है।सारंगढ संजय पाण्डेय के लगभग बारह हजार मतों से ऊपर से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जितने के बाद भाजपा समर्थितों को बारह सीटों पर विजय श्री का प्रसाद मिलने के बाद यह तय माना जा रहा है कि आगामी जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित अई ताजपोशी हो सकती है जिसमें अगर योग्यता से देखा जाए तो वर्ष 2005 में  जनपद अध्यक्ष  रहे संजय पाण्डेय ने अपने कार्यकाल में ही गौण खनिज मद लाकर कई क्षेत्रों को विकास की राह दिखाई थी  तो एक तरह से देखा जाए तो जन मानस की चर्चा परिचर्चा के अनुसार संजय पाण्डेय अगले जिला पंचायत अध्यक्ष हो सकते हैं क्योंकि उनकी जीत सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि उन्होंने कांग्रेस के सबसे बडे कद वाले नेता कांग्रेस जिलाध्यक्ष को बारह हजार से ऊपर मतों से हराया है परंतु ऐसी भी चर्चा है कि क्षेत्र के मंत्री जी के अति करीबी माने जाने वाले सरिता मुरारी नायक को अगला अध्यक्ष बनाया जा सकता है ।बहरहाल अब यह भविष्य के गर्त में है कि जनमानस की चर्चा सही होती है या फिर उच्चस्तरीय पैठ की राजनीति हावी होती है।

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