सारंगढ विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर विशेष प्रति वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाते है शासन के निर्देशानुसार कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे के मार्गदर्शन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एफ आर निराला के देखरेख में जिले में विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाने का योजना बनाया गया है इसके प्रथम कड़ी में जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मचारी अधिकारी विशेष कर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को इस हेतु आज दिवसीय प्रशिक्षण दिया गए है जो अपने आयुष्मान आरोग्य मंदिर में जन जागरूकता अभियान चला कर आम जनता को जागरूक करेंगे आज के दिन सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में भी विभिन्न प्रकार के अवेयरनेस कार्यक्रम होंगे आइए हेपेटाइटिस के बारे कुछ जानकारी से अवगत होवे हेपेटाइटिस क्या है हेपेटाइटिस ( पीलिया) एक ऐसी बीमारी है जिसमे लीवर याने यकृत में सूजन होती है यकृत में सूजन किन किन परिस्थितियों में सूजन होती है लीवर में सूजन निम्न परिस्थितियों में होती है जैसे पहला _ वायरल संक्रमण से दूसरा_ अत्यधिक शराब के सेवन करने से तीसरा_ ऑटोइम्यून डिजीज होने से चौथा_ अत्यधिक दिनों तक दवाइयों के सेवन से आम तौर पर पीलिया 2 प्रकार के होते है 1 दूषित जल के सेवन करने से या दूषित भोज्य पदार्थ के सेवन से ये आमतौर पर 1 ,2 हफ्ते में ठीक भी हो जाती है 2 संक्रमित खून से या रक्त के कारण होता है ये मुख्यतः वायरस के कारण होता है वायरस अनेक प्रकार के है जैसे हेपेटाइटिस वायरस A ,B,C,D, E सभी के संचरण के तरीके अलग अलग और जोखिम भी अलग अलग हो सकती है इस वर्ष के थीम है *हम प्रति वर्षविश्व हेपेटाइटिस दिवस 28 जुलाई को ही क्यों मनाते है * क्योंकि आज ही के दिन हेपेटाइटिस बी के वायरस के टीके की खोज डॉ बारुक ब्लूमबर्ग द्वारा की गई थी इस कारण इसी दिन को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाते है एक जीवन एक यकृत यदि हम जीवन चाहते ,अच्छे जीवन चाहते है स्वस्थ जीवन जीना चाहते है तब हमे अपने यकृत ( लीवर) को भी स्वस्थ रखना होगा यदि हमें अच्छा जीवन और अच्छा यकृत चाहिए तो हमे शराब के सेवन से बचना होता ,हमारी खान पान ऐसी हो कि लीवर पर बोझ न पड़े ,हमारी दिन चर्या लाइफस्टाइल स्वस्थ रहे एक्टिव रहे ,स्वस्थ जीवन शैली अपनाएंगे ,मोटापा से बच के रहेंगे ,अत्यधिक दवाइयों के सेवन से बचेंगे तब हमारे लीवर यकृत एक्टिव रहेंगे हमारे पाचन सिस्टम ठीक से कार्य करेगा विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर होंगे आमतौर पर हमारे लीवर या यकृत शरीर में प्रोसेसिंग यूनिट की तरह कार्य करता है जो प्रोटीन ,वसा और कार्बोहाइड्रेट को पचाता है तथा विषाक्त पदार्थ को फिल्टर करके शरीर से बाहर निकालता है शरीर की मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है क्योंकि लीवर में गॉलब्लैडर होता है जो बाइल रिलीज करता है जो वसा को पचाता है गॉलब्लैडर से इंसुलिन रिलीज होता है जो कार्बोहाइड्रेट को पचाता है लीवर के कारण ही प्रोटीन का पाचन होता है शरीर में ग्लूकोस की मात्रा को नियंत्रित करना हो या कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना हो या अन्य केमिकल को नियंत्रित करना हो सब यकृत की स्थिति पर निर्भर करता है इसी कारण से हमें जीवन चाहिए तो लीवर भी चाहिए होगा अच्छा जीवन चाहिए तो लीवर को भी अच्छा सक्रिय रखना हो होगा इसी कारण शासन आम जनता में जागरूकता फैलाने के लिए हेपेटाइटिस दिवस को अच्छे से मनाया जाता है लोगो को जागरूक करना ,लोगो को पीलिया के जोखिम से अवगत कराना ,पीलिया पीड़ित लोगों को चिन्हांकित करके उनके खून के नमूना जांच में भेजना और पता लगाना किस प्रकार के वायरस है और ऐसा करके लोगो को मदद पहुंचना होता है तथा हेपेटाइटिस के रोक थाम के उपाय खोजना होता है हेपेटाइटिस फैलाता कैसे है हेपेटाइटिस बी HIV वायरस की तरह ही असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने से ,संक्रमित खून चढ़ाने से ,संक्रमित सिरिंज निडल्स के इस्तेमाल करने से तथा एक संक्रमित मां से उनके शिशुओं को भी संक्रमित होने का खतरा होता है आमतौर पर हेपेटाइटिस बी के वायरस भी बॉडी फ्लूड पर जीवित रहता है विशेष कर खून ,वेजाइनल फ्लूड ,सेमिनल फ्लूड ,पेरिटोनियल फ्लूड ,मवाद आदि हेपेटाइटिस बी (पीलिया)के लक्षण पाचन क्रिया प्रभावित होने से भूख कम हो जाती है दस्त ठीक से नहीं होता ,पेट फूलता है गैस बनती है कमजोरी एवं थकान लगती है जी मिचलाएगा उल्टियां हो सकती है त्वचा एवं आंख में पीलापन दिखेगा ,गहरे रंग के पेशाब होंगे ,मल भी हल्के रंग के होंगे ज्यादा दिनों तक हेपेटाइटिस बी होने पर जलोदर ( पेट में पानी भरने की शिकायत) होंगे तथा पैरों में सूजन ( Oedema) भी होंगे हेपेटाइटिस से कैसे बचे हेपेटाइटिस से बचने के लिए हमे हेपेटाइटिस होने के कारणों से बचना होगा जैसे सुरक्षित यौन संबंध हो ,जांचा परखा खून ही चढ़ाए ,सिरिंज नीडल सिंगल use हो , शरीर के विभिन्न तरल पदार्थों के संपर्क में आने से बचे ,अत्यधित शराब का सेवन न करे ,मोटापा से बचे ,स्वस्थ जीवन शैली अपनाए ,अत्यधिक दवाइयों के सेवन से बच्चे विशेष कर दर्दनिवारक दवाइयां ,हरे पट्टीदार सब्जी का सेवन करे ,रेशेदार फल का सेवन करे ,ज्यादा तेलीय वस्तुओं के सेवन से बचे साथ ही दूषित जल या भोज्य पदार्थ के सेवन से भी बचना होगा ,स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों को अतिरिक्त प्रोटेक्शन लेना होगा जिसमें पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग करना साथ में हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण करवाना शामिल है सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाए जाकर आम जनता को इसके बारे में जागरूक करेंगे तथा इसके जोखिम के बारे में अवगत कराएंगे जितने भी हेपेटाइटिस पीड़ित व्यक्ति होंगे वे जिला चिकित्सालय आकर अपनी जांच करावे तथा हेपेटाइटिस बी , सी आदि के जांच के लिए खून के नमूने दे याद रहे सभी गर्भवती माताओं की हेपेटाइटिस की जांच भी होनी है एवं आज कल सभी नवजात शिशुओं को 24 घंटे के पहले ही हेपेटाइटिस के टीके भी लगाए जाते है इसके लिए जरूरी है सभी प्रसव संस्थाओं में हो जहां शिशुओं को हेपेटाइटिस जीरो डोस लगाए जा सके
