सारंगढ़ जिले में वैसे तो इसकी अभी कोई शिकायत नहीं है लेकिन सतर्क व जागरूक रहने की जरूरत है ये चारों ही बीमारी मच्छरों के द्वारा फैलाए जाते है लेकिन सभी के अलग अलग कारक तत्व ( पैरासाइट ) है मलेरिया के लिए कारक प्लाज्मोजियम नामक पैरासाइट होता है ये 4 प्रकार के होते है हमारे क्षेत्र में मुख्यतः फैल्सीपेरम और वाइवेक्स पाए जाते है जो मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है मादा एनाफिलीज मच्छर रात को काटते है ये मच्छर ठहरे हुए साफ पानी में अंडे देती है अंडे से लार्वा बनने में 7 दिन का समय लगता है फाइलेरिया के लिए फाइलेरिया के लिए कारक पैरासाइट वाउचरिया ब्रांकाप्टोई और ब्रुसिया मलाई होता है फाइलेरिया को मादा क्यूलेक्स मच्छर फैलता है इनकी प्रकृति रात के अंधेरे में काटना होता है वास्तव में इन मच्छरों को भोजन के रूप में खून की जरूरत होती है उसके बाद ये अंडे देती है अंडे देने के लिए फिर ये अपने लायक सूटेबल जगह खोजते है क्यूलेक्स मादा के लिए गंदा पानी चाहिए ठहरे हुए हो या बहते हुए हो ,नालियों के जाम होने पर क्यूलेक्स मादा मच्छर को उपयुक्त जगह मिल जाती है जहां ये अंडे देती है चुकी ये गंदे पानी में रहते है इस कारण इसके काटने से उस स्थान पर जलन व खुजली होता है डेंगू के लिए कारक पैरासाइट डेंगू के लिए कारक पैरासाइट एडीज एजिप्ति होता है ये मच्छर सूर्योदय के पहले एवं सूर्यास्त के पहले काटता है इस मच्छर की प्रकृति होती है ठहरे हुए साफ पानी जिसमे ये अंडे देती है आइए आज फाइलेरिया एवं डेंगू के बारे में जाने व समझे। फाइलेरिया के मच्छर इनकी तादात बहुत है आमतौर पर हमेशा दिखने वाला और काटने वाला यही मच्छर होता क्यूलेक्स मच्छर के काटने से काटने वाले जगह पर खुजली और जलन होती है क्योंकि क्यूलेक्स मच्छर गंदे पानी में अपना अंडे देती है जबकि मलेरिया एवं डेंगू के मच्छर साफ पानी में रहना व अंडे देना होता है इस कारण इनके काटने वाले जगह पर खुजली व जलन नहीं होता या कहे तो काटने पर पता नहीं चल पाता इन पैरासाइट की जीवन चक्र मच्छर और मनुष्य दोनों में होकर गुजरता है कुछ दिन मच्छर में तथा कुछ दिन मनुष्य में रहता है यही कारण है कि बचने के लिए हमारे पास दो ऑप्शन होते है जब मच्छर में तो मच्छर को मारने से बच सकते है लेकिन जब पैरासाइट मनुष्य में रहता है तब मनुष्य के खून की जांच में पता चलने पर दवाई से इनके पैरासाइट को मारना होता है उपचार करके डेंगू के लक्षण # अचानक तेज सर में दर्द ,तेज बुखार ,मांशपेशियों में दर्द ,जोड़ो में दर्द ,आंखों के पीछे दर्द जो आंखों को घुमाने से दर्द बढ़ता है ,जी मिचलाना ,उल्टी का होना ,गंभीर मामले में नाक ,मुंह व मसूहों से खून निकलना ,त्वचा में चकत्ते बनना डेंगू से बचाव गर्मी में घरों घर कूलर का उपयोग करते है लेकिन बारिश होने बाद कूलर का प्रयोग बंद कर देते है लेकिन कूलर में भरा हुआ पानी नहीं फेंकते यही ठहरा हुआ पानी एडीज मच्छर के लिए अंडे देने का फेवरेट जगह होती है और बाद में डेंगू ऐसे घरों में होता है अंडे से लार्वा बनने में 7 दिन का समय लगता है अर्थात 7 दिन के भीतर कूलर जैसे स्थान में जमा हुआ पानी फेकना चाहिए हा कूलर के पानी को सूखे स्थान में फेकना है कही कूलर के पानी को पानी में ही फेकेंगे तो भी वे अंडे से लार्वा बनने का अवसर मिल जाएगा इसलिए कूलर के पानी को सूखे जगह में देंगे अच्छा होगा आप इसमें जला हुआ मोबिल ऑयल या मिट्टी तेल डालने के बाद फेंके ( इससे अंडे से लार्वा नहीं बन पाते) ,घरों में गर्मी के समय पक्षियों को पानी देने के लिए कोई मटका आदि बांधे रहते है बारिश होने के बाद इसे भूल जाते है हटाना ऐसे मटके में अगर पानी जमा है तो ये भी फेवरेट स्थान होगा एडीज मच्छर को अंडे देने के लिए , गमला में भी यदि पानी की निकासी बंद हो गई है और पानी जमा हो जाता है तब यहां भी एडीज मच्छर अंडे देंगे , टूटे हुए मिट्टी के बर्तन ,टूटे हुए दिए ,पुराने टायर , नारियल के खटोला आदि में बरसात के पानी जमा हो जाता है पानी साफ रहता है ठहरा हुआ होता है जो एडीज मच्छर को तथा मलेरिया के एनाफिलिस मच्छर को अंडे देने के लिए उपयुक्त जगह मिल जाती है अतः ऐसे समस्त ठहराव पानी को 7 दिनों के भीतर खाली करे ,हो सके तो ऐसे ठहराव पानी में जला हुआ मोबिल ऑयल या मिट्टी का तेल डाले इससे मच्छर के अंडे लार्वा में परिवर्तित नहीं होते और एडल्ट मच्छर नहीं बन पाते अगर हर घर में घर के आस पास ठहराव वाले जल से को नष्ट करे या मिट्टी तेल डाले या फिर पोखरों तालाबों में गम्बुजिया मछली पाले जो मच्छरों के लार्वा को खा है इससे भी लार्वा एडल्ट नहीं बन पाते। रात को सोते समय मच्छर दानी लगाए ,शाम के समय फुल आस्तीन के शर्ट पहने शरीर को धक कर रखे ,ज्यादा डार्क रंग के कपड़े न पहने छोटे बच्चे एवं गर्भवती माताओं के लिए विशेष सावधानी बरते ,शाम होते ही दरवाजा खिड़की के जाली बंद करे , हो सके तो मच्छर भगाने के टिकिया जलाए ,गांवों में निम पट्टी को जलाना ,निम की खली को जलाना ( धुआं करना) फायदे मंद होता है। आइए सभी अपने अपने घरों के आसपास जमे हुए पानी को फेंके ,सफाई रखे घरों के आसपास की नालियों को साफ रखे हु जागरूक रहे और इन बीमारियों से मुक्त रहे आलेख द्वारा डॉ एफ आर निराला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सारंगढ़



