Home रायगढ़ निःशुल्क 7 दिवसीय राजयोग शिविर का आयोजन आज से* *गीता ज्ञान शिविर का सातवां दिन: आंतरिक युद्ध, ध्यान शक्ति और ‘वक्त दान’ की महत्ता पर सारगर्भित प्रवचन*

निःशुल्क 7 दिवसीय राजयोग शिविर का आयोजन आज से* *गीता ज्ञान शिविर का सातवां दिन: आंतरिक युद्ध, ध्यान शक्ति और ‘वक्त दान’ की महत्ता पर सारगर्भित प्रवचन*

by P. R. Rajak Chief Editor
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*निःशुल्क 7 दिवसीय राजयोग शिविर का आयोजन आज से*

*गीता ज्ञान शिविर का सातवां दिन: आंतरिक युद्ध, ध्यान शक्ति और ‘वक्त दान’ की महत्ता पर सारगर्भित प्रवचन*

*सारंगढ़, फुलझरियापारा | 28 नवम्बर 2025*:- ब्रह्माकुमारीज़ फुलझरियापारा, सारंगढ़ के तत्वावधान तथा ब्रह्माकुमारी कंचन बहन के निर्देशन में जारी *‘गीता की राह – वाह ज़िंदगी वाह’* शिविर के सातवें दिन ज्ञान-वर्षा का गहन सत्र आयोजित हुआ। ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने श्रीमद्भगवद्गीता के आधार पर **मन के आंतरिक युद्ध**, ध्यान (मेडिटेशन) की शक्ति तथा जीवन में ‘वक्त दान’ की आवश्यकता पर प्रभावशाली उद्बोधन दिया।

*आंतरिक विकारों से युद्ध…*
दीदी ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य के भीतर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष, आलस्य और भय—इन ग्यारह विकारों का निरंतर संघर्ष चलता है। यही आंतरिक युद्ध व्यक्ति को थका देता है और कई बार अवसाद तक पहुँचा देता है।
उन्होंने कहा कि *20 मिनट का ध्यान आठ घंटे की थकान को मिटाता है*, मन को शांत करता है और रचनात्मकता बढ़ाता है।

*योग का वास्तविक स्वरूप और श्रेष्ठ योगी की पहचान*
गीता के संदर्भ में दीदी ने स्पष्ट किया कि जो साधक *दृढ़ता और श्रद्धा से ज्योति स्वरूप निराकार परमात्मा शिव का स्मरण* करता है, वही श्रेष्ठ योगी कहलाता है।
भगवान द्वारा बताए गुण—दयालुता, द्वेषरहितता, समभाव, अनासक्ति—एक कृत्रिम नहीं बल्कि प्राकृतिक आध्यात्मिक अवस्था हैं।
उन्होंने कहा कि *“ज्ञान से श्रेष्ठ ध्यान है और ध्यान से भी श्रेष्ठ है—कर्म के फल का त्याग, जिससे मन तुरंत शांति पाता है।”*

*वर्तमान समय में ‘वक्त दान’ सबसे बड़ा दान*
दीदी ने रिश्तों को सहेजने के लिए *समय देने* को आज का सर्वोत्तम दान बताया। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे परिवार के बुजुर्गों के साथ समय बिताएँ—यही सच्चा प्रेम और सेवा है।
उन्होंने मुस्कान को दिव्यता का प्रतीक बताते हुए कहा, *“ऐसी मुस्कुराहट अपनाइए कि परिस्थितियाँ भी आपको परेशान करके थक जाएँ।”*

*गीता के परम रहस्य और धर्म की स्थापना*
सत्र में *कल्पवृक्ष* के आध्यात्मिक अर्थ, *पुरुषोत्तम संगम युग* तथा परमात्मा द्वारा *आदि सनातन देवी-देवता धर्म* की स्थापना जैसे गूढ़ विषयों पर भी प्रकाश डाला गया।
दीदी ने परमात्मा के अंतिम उपदेश *“मुझमें शरण लो, मैं तुम्हें पापों से मुक्त कर दूँगा — डरो मत”* को जीवन-परिवर्तन का मूल सिद्धांत बताया।

*आज से शुरू होगा बेसिक कोर्स*
*कार्यक्रम के अंत में सेवाकेंद्र प्रभारी ब्र.कु. कंचन दीदी* ने बताया गया कि आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाने के इच्छुक साधकों हेतु *आज से बेसिक कोर्स* आरम्भ किया जा रहा है, जिसमें राजयोग, आत्म-स्वरूप और दैनिक जीवन में आध्यात्मिकता के प्रयोग पर सरल मार्गदर्शन दिया जाएगा।

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