Home छत्तीसगढ़ Rajat Kiran News : दो वर्षीय पुत्र के चलते आरक्षक व उसकी पत्नी सुलाहनामा के लिए तैयार, महिला आयोग की अध्यक्ष ने उत्पीडऩ से संबंधित प्रकरणों पर की जन सुनवाई

Rajat Kiran News : दो वर्षीय पुत्र के चलते आरक्षक व उसकी पत्नी सुलाहनामा के लिए तैयार, महिला आयोग की अध्यक्ष ने उत्पीडऩ से संबंधित प्रकरणों पर की जन सुनवाई

by P. R. Rajak
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बिना तलाक के दूसरी शादी पर पहली पत्नी, पति के खिलाफ आपराधिक मामला न्यायालय में कर सकती है प्रस्तुत,

रायगढ़। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ.किरणमयी नायक एवं सदस्य सरला कोसरिया ने आज कलेक्टोरेट रायगढ़ के सृजन सभाकक्ष में महिला उत्पीडऩ से संबंधित प्रकरणों पर जन सुनवाई की। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष डॉ.किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 328 वीं एवं रायगढ़ जिला की 10 वीं सुनवाई हुई। जिले में आयोजित जन सुनवाई में 20 प्रकरणों पर सुनवाई की गई।

अन्य प्रकरण में आवेदिका और अनावेदक का 02 वर्ष का पुत्र है, विगत डेढ़ माह से अलग रह रहे है। दोनों पक्ष को विस्तार से समझाईश दिया गया जिसके तहत आवेदिका व अनावेदक क्रमांक 01 लिखित में इकरारनामा करना चाहे तो साथ रह सकते है या आपसी सहमति से तलाक ले सकते है। उनका परिवार परामर्श केन्द्र में तीसरी सुनवाई 26 जून 2025 को है उसके बाद उभयपक्ष चाहे तो महिला आयोग रायपुर में 30 जून 2025 को प्रात: 10.30 बजे आ सकते है। जहाँ आयोग के फैमिली काऊंसलर उनका लिखित इकरारनामा तैयार करवा दिया जायेगा एवं प्रकरण को नस्तीबद्ध किया जाएगा।

गेल इंडिया को जमीन का दोबारा मूल्यांकन करने का निर्देश

अन्य प्रकरण में आवेदिका उपस्थित अनावेदक क्र. अनावेदकगण आवेदिका की जमीन डायवर्टेड लैंड में है। जिसके बीचो बीच भारत सरकार का गैस पाईपलाईन प्रोजेक्ट जाने के लिए किये गये सर्वे में आवेदिका के जमीन पर स्थित टयूबवेल स्थाई सरंचना को नजरअंदाज किया गया व डायवर्टेड जमीन का मुआवजा भी सही तरीके से तय नहीं किया गया। आवेदिका का कुल 05 एकड जमीन में बीचों बीच 90 डिसमिल जमीन अनावेदकगणों द्वारा ले लिया गया है। जिससे आवेदिका अपनी जमीन का उपयोग नही कर पा रही है और न ही उसे कोई मुआवजा मिला है। आपत्ति किये जाने पर 7 लाख 35 हजार 440 रुपए तथा उसके टयूबवेल के लिए 85 हजार रुपए मुआवजा तय किया गया है। जिससे आवेदिका के जमीन का अमूल्यन हो गया है। उसने 2021 में डायवर्सन कराया था।

अब वहाँ धान की फसल भी नही कर सकती है व जमीन को किराये में दिये जाने का एग्रीमेंट कराया गया था। जिससे आवेदिका को नुकसान हुआ है। अनावेदक पक्ष को समझाईश दिया कि वह आवेदिका के समस्त नुकसान के मामले में मानवीय दृष्टिकोण से पुन: आंकलन कर अपना प्रस्ताव आयोग को प्रस्तुत करें। अनावेदक क्रमांक 01 तहसीलदार खरसिया, निष्पक्ष रूप से अपनी भूमिका का निर्वहन करें एवं महिला आयोग की ओर से जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास एल.आर.कच्छप इस प्रकरण की निगरानी करेंगे और 01 माह के बाद प्रकरण रिपोर्ट मिलने पर अंतिम निराकरण रायपुर में रखा जाएगा।

तलाक लिए बिना पति ने दूसरा विवाह कर लिया

अन्य प्रकरण में क्रमांक 681, 682, दोनों एक ही आवेदिका का है, परंतु अनावेदकगण अलग अलग हैं। आवेदिका द्वारा बताया गया कि उसके द्वारा किसी प्रकार का शिकायत दर्ज नही कराया गया व उन्हे कोई जानकारी नही है, सुनवाई के दौरान आवेदिका व अनावेदकगणों के पते के अनुसार उन्हे बुलाया गया था। आवेदिका द्वारा किसी भी प्रकार का शिकायत नही किये जाने की बात कहे जाने पर आयोग ने दोनों प्रकरण नस्तीबद्ध किया। अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि पति ने 02 साल पूर्व दूसरा विवाह कर लिया है। अनावेदक ने भी स्वीकार किया। उभयपक्ष के 3 संतान है व दूसरी पत्नी से 01 बेटा है।

इससे यह स्पष्ट होता कि अनावेदक ने आवेदिका से तलाक लिए बिना दूसरा विवाह कर लिया है। जिसके लिए अपराधिक कार्यवाही के तहत वह दंडित भी हो सकता है। अनावेदक के द्वारा आवेदिका को अब तक कोई भरण पोषण नही दिया जा रहा है। समझाने के बाद भी अनावेदक भरण पोषण देने के लिए तैयार नही है। आवेदिका ने कहा कि अनावेदक के खिलाफ दूसरा विवाह के लिए आपराधिक कार्यवाही करना चाहती है। आयोग की सुनवाई की प्रतिलिपि आवेदिका को दिया गया। जिसके आधार पर वह न्यायालय में अनावेदक द्वारा दूसरा विवाह के खिलाफ कार्यवाही करवा सकती है।

पुलिस अधीक्षक महासमुंद को भेजा जायेगा पत्र

अन्य प्रकरण में संरक्षण अधिकारी रायगढ़ को जांच का निर्देश दिया गया था। जिसके रिपोर्ट के आधार पर उभयपक्ष के बीच समझौता हो जाने के कारण आवेदिका आगे कार्यवाही नही चाहती है। अत: प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि यह प्रकरण माननीय न्यायालय में लंबित है व अग्रिम कार्यवाही न्यायालय के माध्यम से होना है। जिस कारण से आयोग से प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में अनावेदक जो कि थाना बागबहरा जिला-महासमुंद में रहता है परंतु अनुपस्थित है। आयोग द्वारा इस प्रकरण में पुलिस अधीक्षक महासमुंद को पत्र भेजा जायेगा ताकि एक एस.आई के साथ अनावेदक को अगली सुनवाई में उपस्थित करवाया जा सके।

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