घरघोड़ा। बरौद क्षेत्र के विस्थापित परिवार अब सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। कोल माइंस के लिए ज़मीन, खेत और घर गँवाने के बाद भी जब उन्हें उनका हक़ नहीं मिला, तो अब उन्होंने 18 अगस्त 2025, सोमवार को रायगढ़ कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने का ऐलान किया है। विस्थापित परिवार के लोग रायगढ़ शहर में रैली के साथ की हुंकार भरेंगे।
विस्थापित परिवारों का कहना है कि वर्षों से उन्हें सिर्फ़ आश्वासन दिया गया है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई न्याय नहीं मिला। जिन युवाओं ने 18 साल की उम्र पूरी कर ली और अब अलग परिवार बना लिया, उन्हें आज तक विस्थापन का लाभ नहीं दिया गया। 2013-14 में जिन परिवारों का विस्तार हुआ, उनके लिए मकान निर्माण का मुआवजा तक नहीं दिया गया। पुनर्वास स्थलों पर स्कूल, आंगनबाड़ी, पंचायत भवन जैसी बुनियादी सुविधाएं आज भी सपना बनी हुई हैं। वहीं कोलियरी शिफ्टिंग में कई परिवारों को उनका हक़ और मुआवजा अब तक नहीं मिला है।गांव के लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक उन्हें धोखे में रखा जाएगा। उन्होंने अपनी ज़मीनें कोल कंपनियों और सरकार को सौंप दीं, अपने खेत-खलिहान गंवा दिए, पुश्तैनी घर छोड़ दिए। लेकिन इसके बदले मिला क्या? न ढंग का मुआवजा, न रोजगार, न बुनियादी सुविधाएं। प्रशासन और प्रबंधन ने सिर्फ़ वादे किए, लेकिन हक़ आज तक नहीं दिया।
आंदोलनकारियों का कहना है कि अब और इंतजार नहीं होगा। अबकी बार रायगढ़ की सड़कों पर जनसैलाब उमड़ेगा और हर परिवार अपनी आवाज़ बुलंद करेगा। यह सिर्फ़ बरौद क्षेत्र का आंदोलन नहीं है बल्कि पूरे रायगढ़ ज़िले के उन सभी परिवारों की गूंज है जो विस्थापन की मार झेल रहे हैं।विस्थापित परिवारों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और उग्र होगा। अब वे किसी भी तरह के आश्वासन या झूठे वादों से बहलने वाले नहीं हैं। उनका कहना है – “हमने ज़मीन दी, घर छोड़ा, खेत छोड़ा… अब अधिकार छीनकर रहेंगे। भीख नहीं चाहिए, हक़ चाहिए।” 18 अगस्त को रायगढ़ कलेक्टर कार्यालय में इतिहास गवाह बनेगा, जब विस्थापित परिवार एकजुट होकर अपने हक के लिए आवाज बुलंद करेंगे।


