रायगढ़।ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एवं स्कूल ऑफ साइंस के कुल 546 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं। साथ ही, उत्कृष्ट अकादमिक प्रदर्शन के लिए 22 स्वर्ण पदक, 23 रजत पदक और 21 कांस्य पदक भी प्रदान किए गए।
ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय, रायगढ़ के पांचवें दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन 4 अगस्त 2025 को संपन्न हुआ। ओ.पी. जिंदल स्कूल, रायगढ़ के सभागार में आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर विजय कुमार गोयल (अध्यक्ष – छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, रायपुर), शालू जिंदल (चांसलर – ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय, रायगढ़), सब्यसाची बंद्योपाध्याय (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर -जिंदल स्टील, रायगढ़), डॉ. आर. डी. पाटीदार (कुलपति-ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय), एवं डॉ. अनुराग विजयवर्गीय (कुलसचिव -ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय) उपस्थित रहे।

इस पाँचवें दीक्षांत समारोह के दौरान स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट तथा स्कूल ऑफ साइंस के कुल 546 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं। उत्कृष्ट अकादमिक प्रदर्शन के लिए 22 स्वर्ण, 23 रजत एवं 21 कांस्य पदक भी सम्मानित छात्रों को प्रदान किए गए। यह समारोह न केवल विद्यार्थियों के लिए बल्कि पूरे विश्वविद्यालय परिवार के लिए गर्व और उपलब्धि का प्रतीक बना।दीक्षांत समारोह की गरिमा और परंपरा का अनुपालन करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ एकेडेमिक प्रोसेशन के उपरांत दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। ज्ञान और उजाले के इस प्रतीकात्मक क्षण ने न केवल मंच को आलोकित किया, बल्कि विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के प्रति शुभकामनाओं का वातावरण भी रचा।

ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. डी. पाटीदार ने अपने सारगर्भित स्वागत भाषण में मुख्य अतिथियों, विशिष्ट अतिथियों, अभिभावकों एवं विद्यार्थियों का हृदय से स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन (2024–25) प्रस्तुत किया। डॉ. पाटीदार ने डिग्री एवं पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा, “दीक्षांत समारोह केवल डिग्री का उत्सव नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और संस्थागत गौरव का प्रतीक है। यह वह क्षण है जब हम अपने बीते प्रयासों को देखते हैं और भविष्य की नई राहों की ओर अग्रसर होते हैं। आपको यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि असली सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, बल्कि उस सकारात्मक प्रभाव में निहित है जो आप दूसरों के जीवन पर डालते हैं। अपने ज्ञान का उपयोग समाज की भलाई के लिए करें — यही आपकी शिक्षा का सबसे श्रेष्ठ और सार्थक उपयोग होगा।”

वार्षिक प्रतिवेदन में डॉ. पाटीदार ने विश्वविद्यालय की उल्लेखनीय उपलब्धियों का विवरण साझा किया — जिसमें शिक्षा, अधोसंरचना विकास, नवाचार, अनुसंधान और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्रों में संस्थान की प्रगति को प्रमुखता से बताया। उन्होंने वर्ष 2024–25 के दौरान प्राप्त विशिष्ट उपलब्धियों, राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं एवं विश्वविद्यालय की बढ़ती प्रतिष्ठा का उल्लेख करते हुए कहा की ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय, चांसलर शालू जिंदल के नेतृत्व तथा संरक्षक नवीन जिंदल की दूरदृष्टि और प्रेरणा के मार्गदर्शन में उनके सपनों को साकार करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है। हमारा उद्देश्य केवल शिक्षा प्रदान करना नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर एक उत्कृष्ट और प्रगतिशील पहचान स्थापित करना है।

ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय की चांसलर शालू जिंदल ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों और रैंक होल्डर्स को हार्दिक बधाई और उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दिया। छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आज का दिन आपके जीवन की उस मेहनत, समर्पण और संकल्प का उत्सव है, जिसने आपको इस गौरवपूर्ण मुकाम तक पहुँचाया है। यह केवल एक समापन नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है – जहां आप अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए निकल पड़ते हैं। आपमें वह सामर्थ्य है, वह दृष्टि है और वह संकल्प है, जो इस समाज, इस देश और इस विश्व को एक नई दिशा दे सकता है।

आप जीवन की किसी भी राह में जाएं अपने भीतर की शक्ति पर विश्वास रखें। हर चुनौती को अवसर में बदलने की क्षमता आपके भीतर है। असफलताएं आएंगी, पर आत्मविश्वास ही वह शक्ति है जो आपको हर बार फिर खड़ा कर सकती है। आपका आत्मविश्वास, आपकी सोच, और आपकी मेहनत — यही भविष्य की नींव रखेगी। इस अवसर पर श्रीमती जिंदल ने उन सभी माता-पिता और परिवारजनों को भी विशेष रूप से धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ दीं, जिनके समर्थन और विश्वास ने विद्यार्थियों को इस मुकाम तक पहुँचने में मदद की।

सब्यसाची बंद्योपाध्याय, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर – जिंदल स्टील, रायगढ़ ने दीक्षांत समारोह के अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए अपने सारगर्भित उद्बोधन में उन्हें जीवन में पूर्ण मनोयोग से कार्य करने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि सफलता का मार्ग समर्पण, अनुशासन और आत्मविश्वास से होकर जाता है। श्री बंद्योपाध्याय ने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे अपने पैशन को पहचानें और उसे पूरी निष्ठा से फॉलो करें, क्योंकि जब व्यक्ति अपने दिल की आवाज़ सुनता है, तो वह किसी भी चुनौती को पार कर सकता है।

पाँचवें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि, छत्तीसगढ़ प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन के चेयरमैन प्रो. विजय कुमार गोयल ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे जीवन में अपनी जिम्मेदारियों को गहराई से समझें और उन्हें पूरी निष्ठा, ईमानदारी तथा सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना के साथ निभाने के लिए सदैव तैयार रहें। उन्होंने ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय के साथ के एवं अपने निजी अनुभवों को साझा करते हुए विश्वविद्यालय में उपलब्ध मूल्यपरक, उद्योग-संगत और समग्र शिक्षा प्रणाली की भूरी-भूरी प्रशंसा की

। प्रो. गोयल ने इसे एक ऐसा शिक्षण संस्थान बताया, जो न केवल अकादमिक उत्कृष्टता पर बल देता है, बल्कि विद्यार्थियों में चारित्रिक विकास, वैश्विक दृष्टिकोण और सामाजिक चेतना का भी निर्माण करता है। प्रो. गोयल ने विद्यार्थियों को न केवल एक सफल कैरियर बल्कि एक सार्थक जीवन की दिशा में बढ़ने का संदेश देते हुए कहा की सच्ची सफलता वहीं है, जहाँ व्यक्ति समाज, राष्ट्र और मानवता के लिए योगदान दे सके। इस अवसर पर उन्होंने एनईपी -2020 के उद्देश्य एवं शिक्षा क्षेत्र में उससे होने वाले लाभों के बारे में बताया।
सभी संबोधनों के पश्चात, समारोह में सभी ग्रेजुएटिंग छात्रों को पदक एवं डिग्रियाँ प्रदान की गईं। मंच पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं और उनकी उपलब्धियों की सराहना की। समारोह का वातावरण उत्साह, गौरव और प्रेरणा से ओतप्रोत रहा। कार्यक्रम के समापन पर ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनुराग विजयवर्गीय ने सभी अतिथियों, अभिभावकों, प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों का आभार प्रकट किया।
समारोह का संचालन मानविकी विभाग के प्राध्यापक डॉ. संजय कुमार सिंह एवं संयोजन डॉ गिरीश चंद्र मिश्र (डीन-स्कूल ऑफ़ साइंस) एवं डॉ सुरेंद्र द्विवेदी (प्रोफ़ेसर- मेकेनिकल इंजीनियरिंग) ने किया। इस अवसर पर सभागार में विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने समारोह को और अधिक जीवंत एवं उत्साहपूर्ण बना दिया।