Home छत्तीसगढ़ Rajat Kiran News : गुरु पूर्णिमा पर विशेष : अंधकारमय समाज को प्रकाशमय बनाने का सार्थक प्रयास

Rajat Kiran News : गुरु पूर्णिमा पर विशेष : अंधकारमय समाज को प्रकाशमय बनाने का सार्थक प्रयास

by P. R. Rajak
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बाबा प्रियदर्शी राम ने मानव जाति को जीवन में वास्तविक लक्ष्य हासिल करने का सहज मार्ग बताया

रायगढ़। आज आषाढ़ माह की पूर्णिमा के साथ साथ महर्षि वेद व्यास की जयंती भी है। आज के दिन विशेषकर शिष्य सनातनी परपंरा का निर्वहन करते हुए गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर हेतु मार्गदर्शन देने वाला व्यक्ति जीवन में गुरु होता है।आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं को सम्मान देने हेतु गुरु पूर्णिमा एक धार्मिक उत्सव की तरह है। गुरु आध्यात्मिक ज्ञान एवं संभावनाओं से भरा वो अथाह खजाना है जिसे समस्त मानव जाति हासिल कर सकती है। मानव अज्ञानता के द्वार खोल गुरु ज्ञान का खजाना कोई भी सहजता से प्राप्त कर सकता है।आध्यात्मिक गुरु एवं महान संत बाबा प्रियदर्शी राम जी के चरणों का पावन स्पर्श पाकर अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा भी अध्यात्मिक ज्ञान का श्रेष्ठ विश्वविद्यालय बन गया। इस विश्वविद्यालय से देश भर के सभी धर्म,समाज, संप्रदाय से जुड़ी मानव जाति आध्यात्मिक ज्ञान हासिल कर रही है।

धर्म का मूल निः स्वार्थ भाव से की गई सेवा है आश्रम की सभी शाखाएं प्रियदर्शी राम जी द्वारा स्थापित पीड़ित मानव की सेवा के धर्म का निर्वहन कर रही है।अंधकार मय समाज को प्रकाश मय बनाने के दिशा में पूज्य बाबा के सार्थक प्रयास मानव जाति के लिए अनमोल धरोहर है। बाबा प्रियदर्शी राम जी की प्रेरणा से अघोर पंथ के मार्ग के चलने वाले पथिक अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य को हासिल करने सफल हुए हैं।

बाबा प्रियदर्शी राम ने मानव जाति को जीवन में वास्तविक लक्ष्य हासिल करने का सहज मार्ग बताया। ताकि मनुष्य के जीवन में भटकाव ना हो। उन्होंने बताया कि सुख दुख केवल मन की अवस्था है और साधनों पर निर्भरता दुखो का कारण बन जाती है। हर मनुष्य के अंदर असीमित शक्तियां मौजूद है लेकिन वह इससे अनजान रहता है। बाबा प्रियदर्शी राम मनुष्य को उनकी ही अन्त: शक्ति से ही ना केवल परिचित कराया बल्कि उसे जागृत एवं विकसित करने का हर संभव उपाय भी बताया। स्कूली शिक्षा के साथ साथ व्यावहारिक ज्ञान को आवश्यक बताते हुए पूज्य पाद ने कहा अधिक धन संपति जुटाने वाले साधक ही समाज में सफल माने जाए यह आवश्यक नही है। अपितु पीड़ित मानव की सेवा करने वाले व्यक्ति जीवन मे सही मायने में संतुष्ट के साथ साथ सफल माने जाते है।

बनोरा की इस अध्यात्मिक पाठशाला ने समाज को ऊंचाई हासिल करने के साथ ऊंचाई में बने रहने का मार्ग भी बताया है। बनोरा आश्रम की मानव सेवी गतिविधियां अंतिम पंक्ति में खड़े साधन विहीन लोगों के जीवन के मूलभूत आवश्यकता शिक्षा चिकित्सा मुहैया करा रही है। अघोर गुरु पीठ बनोरा के पीठाधीश्वर प्रियदर्शी बाबा राम जी पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी के सूक्ष्म स्वरुप की अनुपम धरोहर ही है। तीन दशक पहले बाबा प्रियदर्शी राम जी के चरण रज पाकर पावन हुई बनोरा की यह पावन स्थली ज्ञान प्रेम संस्कार की त्रिवेणी बन चुकी जहां से देश भर अघोर पंथ से जुड़े साधक जीवन से जुड़े रहस्यमयी जिज्ञासाओं को आसानी से समझ रहे है।

वैचारिक मतभेद से समाज में वैमनस्यता बढ़ रही। कटुता बढ़ रही है। रिश्तों में प्रेम का अभाव हो रहा है। व्यवसायिक शिक्षा को प्राथमिकता देने से नाना प्रकार की विसंगतियां आ रही है। ऐसे प्रतिस्पर्धा के दौर में बाबा प्रियदर्शी राम जी के आशीर्वचन एवं व्यवहारिक ज्ञान समाज की बढ़ती खाई को पाटने में मददगार साबित हो रहे है। अघोरेश्वर महा प्रभु आपका ही सूक्ष्म स्वरुप आपसे मिलती भाव भंगिमा, आपके उद्देश्य, आप जैसी चमत्कृत शक्ति का अहसास अघोर पंथ से जुड़े शिष्यों को आज भी बनोरा में सहजता से दृष्टगोचर हो रहा है। प्रियदर्शी राम जी आपके चरण रज सभी के माथे में आशीर्वाद स्वरुप मौजूद रहे ।

भभूत से भक्ति,मोक्ष,मुक्ति, के साथ आध्यात्मिक विकास

नश्वर मानव जीवन भभूत में तब्दील हो जाती है। अघोर पंथ इसी भभूत की विनम्रता और सरलता का प्रतीक मानता है। पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम जी भभूत को आध्यात्मिक विकास का प्रतीक मानते है। जीवन के मोक्ष और मुक्ति का प्रतीक बताते है। भक्ति और उपासना में भी भभूत का विशेष महत्व है

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