घरघोड़ा। क्षेत्र की सबसे अहम कड़ी कही जाने वाली लैलूंगा मुख्य मार्ग से झांकादरहा तक की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMJSY) सड़क आज पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। नगर के भीतर से गुजरने वाली यह सड़क गड्ढों से पटकर ग्रामीणों की परेशानी और दुर्घटनाओं का गढ़ बन गई है। विडंबना यह है कि यह वही सड़क है जो सीधे सांसद के गृह नगर से होकर गुजरती है, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदारों की बेरुख़ी के कारण हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।

घरघोड़ा और तमनार दो ब्लॉकों को जोड़ने वाली इस सड़क से मिलुपारा, रोडोपाली, सराईडिपा और कुंजेमुरा के हजारों लोग रोजाना आवाजाही करते हैं। यही नहीं, स्कूली बच्चे, मरीज और ग्रामीण रोज इस जोखिम भरे रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं।
सड़क की चौड़ाई महज 3 मीटर है और उस पर भारी वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी है। बावजूद इसके माइंस और उद्योगों के ओवरलोड ट्रक एवं डंपर दिन-रात बेधड़क दौड़ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन भारी वाहनों ने ही सड़क को पूरी तरह तबाह कर दिया है।
ग्राम झांकादरहा के ग्रामीणों ने बताया कि इस सड़क को बनाने के लिए उन्हें वर्षों तक लड़ाई लड़नी पड़ी थी। 2018 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव का बहिष्कार तक करना पड़ा था, तब जाकर सड़क बनी। लेकिन महज़ कुछ ही सालों में सड़क की दुर्दशा यह है कि अब यह चलने लायक भी नहीं बची।

ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा –
👉 “जब चुनाव आता है तो नेता वोट मांगने हर घर पहुँचते हैं, लेकिन सड़क ठीक करने कोई नहीं आता।”
👉 “हमने आंदोलन किया, चुनाव का बहिष्कार किया, तब सड़क बनी… अब फिर वही स्थिति आ गई है। अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो हम एक बार फिर सड़क पर उतरेंगे।”
👉 “यह सड़क हमारे जीवन की रेखा है, इसे ठीक करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन आज हमें ठगा जा रहा है।”
ग्रामीणों का कहना है कि करोड़ों की लागत से बनी यह सड़क प्रशासनिक लापरवाही के कारण पूरी तरह बर्बाद हो गई। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत सड़क निर्माण या मरम्मत का कार्य शुरू नहीं किया गया तो वे पुनः आंदोलन और चुनाव बहिष्कार जैसे कठोर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
क्षेत्र में अब यह मुद्दा गरमाने लगा है और सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर सांसद और जनप्रतिनिधि अपने ही गृह नगर की सड़क की दुर्दशा पर चुप क्यों हैं?


