Raigarh News: भाजपा नगरीय चुनाव से पहले अपने संगठन चुनाव को पूरा करने की जद्दोजहद में है।मंडल अध्यक्षों के चयन के बाद रायगढ़ जिले में भाजपा अपने जिला संगठन के नेतृत्व की तलाश में जुटी है। सोमवार को जिला भाजपा कार्यालय में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक ने जिला अध्यक्ष पद के लिए सबसे उपयुक्त के नाम पर कार्यकर्ताओं से रायशुमारी की। बताया जाता है कि प्रदेश की सत्ता में वापसी के बाद से पार्टी और कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है। रायगढ़ जिला अध्यक्ष पद को लेकर उत्साह साफ नजर आया।
राजनीतिक सूत्रों की माने तो जिला अध्यक्ष पद के लिए करीब दस दावेदारों के नाम सामने आए। बताया जाता है कि कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर संगठन आलाकमान नब्ज टटोल रही।और इस तरह सर्वाधिक पसंदीदा दावेदार का पैनल ऊपर भेजा जाएगा और प्रदेश हाईकमान इनमें से एक नाम पर मुहर लगा सकती है। कहा जाता है कि जिला अध्यक्ष पद के दावेदारों में अनेक वर्ग से नाम सामने आए। जिनमें अरूणधर दीवान,सतीश बेहरा, विवेक रंजन सिन्हा,विकास केडिया,महेश साहू,सत्यदेव शर्मा, अरूण कातोरे, रत्थुलाल गुप्ता,अनुपम पाल और सुनीति राठिया सहित एक दो और दावेदारों के नामों की चर्चा हुई। बताया जाता है कि पार्टी नेताओं ने करीब 124 लोगों से रायशुमारी की और उनसे जिला अध्यक्ष पद के लिए बेहतर दावेदार का नाम भी जान लिया। पार्टी कार्यकर्ताओं में अपने पसंदीदा दावेदार का नाम लेकर बेहद उत्साहित दिखे, पार्टी नेताओं द्वारा की गई रायशुमारी से यह तो स्पष्ट हो गया कि आने वाले कुछ ही दिनों में रायगढ़ जिला को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। कौन होगा इसे लेकर तब तक कयास ही लगते रहेंगे? वैसे भी पार्टी हर बार चौंकाने वाले निर्णय लेकर कार्यकर्ताओं को सरप्राइज देती रही है ।
महिला जिला अध्यक्ष का दाव!
पार्टी के करीबी सूत्रों की माने तो संगठन चुनाव में भी महिला आरक्षण को लेकर गंभीरता दिखाई जा रही है। जिला भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के दौरान लैलूंगा की पूर्व विधायक सुनीति राठिया के नाम की दावेदारी चौकाने वाली थी। जिला अध्यक्ष पद के लिए जिन नामों की चर्चा पहले से हो रही थी, उनके अलावा आज एकाएक जिला अध्यक्ष के लिए दावेदारों में सुनीति राठिया का नाम सामने आना सुनियोजित प्रतीत होता है। चर्चा है कि पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया एक सप्ताह रायपुर प्रवास पर रहे। ऐसे में यह माना जा रहा है कि रायपुर से मिले संकेत से दावेदारी सामने आई है या और कुछ कारण है? फिलहाल सिर्फ कयास ही लग रहें हैं।
नये समीकरण से साधने की कोशिश?
भाजपा सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की सोशल इंजीनियरिंग से इत्तेफाक रखे तो इसमें हर्ज ही क्या है? सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा देने वाली पार्टी को समीकरण को बनाना ही पड़ेगा कि सब सध जाए। राजनीतिक सूत्रों की माने तो पार्टी नई रणनीति बनाने की तैयारी में है। चार विधानसभा सीट वाले इस जिले की तीन सीट अब भी कांग्रेस की झोली में है। ऐसे में हर नफा-नुकसान का आंकलन जरूरी समझा जा रहा है। जिला मुख्यालय को एक सिरे पर रख तीनों विधानसभा क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए जिला अध्यक्ष की कमान दी जा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा के बेहद करीब रहा व्यापारी वर्ग अब भी पार्टी के प्रति निष्ठावान नजर आता है,जिसका इनाम उसे मिलता रहा है। ऐसे में अग्रवाल समाज की दावेदारी भी प्रबल होने से इंकार नहीं किया जा सकता।