रायगढ़ (16 जून)। भाजपा नेता मुकेश जैन ने रायगढ़ आए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के बयान को गैरजिम्मेदाराना बताया है। जारी विज्ञप्ति में श्री जैन ने कहा है कि आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने अपने बयान में जो आरोप लगाये हैं वे बेहद गैरजिम्मेदाराना, मनगढ़ंत व भ्रामक हैं। उन्हें या तो तथ्यों की जानकारी नहीं है अथवा वे एक सोची-समझी साजिश के तहत भाजपा सरकार व स्थानीय विधायक ओ पी चौधरी की छवि धूमिल करने हेतु झूठ का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने बिना किसी प्रमाण के जानबूझकर किसी अज्ञात बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाकर सनसनी फैलाने का जो प्रयास किया वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जैसे जिम्मेदार पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है।
जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्हें मालूम होना चाहिये कि केलो नदी पर रिवर फ्रंट (मेरिन ड्राइव) निर्माण की योजना अभी की योजना नहीं है वरन इसका ब्लू-प्रिंट 2011-12 को ही बन गया था। इसकी प्रस्तावित चौड़ाई दोनों छोर पर 30-30 मीटर थी। शनि मंदिर से खर्राघाट के एक हिस्से का आधा-अधूरा निर्माण पहले हो चुका है। अब उसी योजना को नये सिरे से हाथ में लिया गया है। दीपक बैज को अपने झूठे व भ्रामक आरोप हेतु रायगढ़ की जनता से माफी मांगनी चाहिये।उनका यह कहना भी गलत है कि किसी ने वार्डवासियों से बातचीत ही नहीं की। सच यह है कि लोगों को सूचना देकर उन्हें अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर दिया गया था तथा उनकी मांगों को ध्यान में रखकर प्रस्तावित सड़क की चौड़ाई कम की गयी ताकि कम से कम लोग प्रभावित हों।
व्यवस्थापन देने का संवेदनशील निर्णय
यह रायगढ़ के इतिहास में पहली बार हुआ कि अतिक्रमण हटाने पर प्रभावित लोगों को हाथ के हाथ व्यवस्थापन देने का संवेदनशील निर्णय लिया गया है। विस्थापन के तौर पर मिलने वाले मकान हेतु निर्धारित 75 हजार रुपये की व्यवस्था सी एस आर मद से करना भी एक सार्थक पहल व संवेदनशील कदम है।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को राजनीतिक महापुरुषों के जीवन से यह सीखना चाहिये कि राजनीति की चौपड़ में बाजीगरों की तरह झूठे करतब दिखाने से पहचान व विश्वास नहीं बनता है वरन जनता का भरोसा जीतने के लिये राजनेता के शब्दों में गंभीरता, तथ्यात्मकता व प्रमाणिकता होनी चाहिये।
कांग्रेस के पास प्रदेश स्तर पर कोई मुद्दा नहीं
स्थानीय विकास के तहत एक छोटे से मोहल्ले के मामले में कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व का रायगढ़ दौड़े चले आना इस बात को दर्शाता है कि कांग्रेस के पास प्रदेश स्तर पर अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है और वह पूरी तरह हताश हो चुकी है। जिले के विधायकों द्वारा मोर्चा संभालने से पहले सीधे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का मोर्चे पर आ जाना इस बात को भी इंगित करता है कि प्रदेश नेतृत्व को जिले के कांग्रेस नेताओं की निष्ठा व संघर्ष क्षमता पर भरोसा नहीं है।
प्रदेश में हर तरफ ताबड़-तोड़ विकास कार्य हो रहें
दरअसल बात यह है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में प्रदेश चौतरफा विकास की ओर अग्रसर है। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव के दौरान यह कहकर जनता को बरगलाने का प्रयास किया था कि भाजपा झूठे वायदे कर रही है क्योंकि प्रदेश के वित्तीय संसाधनों को देखते हुये भाजपा के वायदों का पूरा होना संभव ही नहीं है। उनकी आशंकाओं के विपरीत विष्णुदेव साय के कुशल नेतृत्व में वित्तमंत्री ओ.पी. चौधरी द्वारा किये गये कसावट भरे वित्तीय प्रबंधन के कारण प्रदेश सरकार न केवल अपने वायदे पूरा कर रही है वरन प्रदेश में हर तरफ ताबड़-तोड़ विकास कार्य हो रहें हैं। भूपेश बघेल सहित कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को हर मुद्दे पर मुंह तोड़ जवाब देकर ओ.पी.चौधरी जिस प्रतिभा व हाजिर जवाबी का परिचय दिया है उससे कांग्रेस नेतृत्व विचलित है। श्री चौधरी की जन- स्वीकार्यता, सक्रियता, कार्यकुशलता, प्रतिभा व बेजोड़ वित्तीय प्रबंधन क्षमता के कारण वे प्रदेश कांग्रेस के आँख की किरकिरी बन गये हैं।
विगत डेढ़ वर्षों के दौरान प्रदेश में हो रहे साँय-साँय विकास के कारण ही पंचायत से लेकर लोकसभा तक कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। धीरे-धीरे प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में यह भय घर कर गया है कि यदि भाजपा सरकार इसी गति से काम करती रही तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपनी राजनीतिक जमीन व प्रासंगिकता खो देगी। इसी कारण प्रदेश कांग्रेस के नेतागण विष्णुदेव साय व ओ.पी.चौधरी की घेराबंदी करके सरकार को अस्थिर करने का षडयंत्र रचने में लग गये हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का लाव-लश्कर के साथ रायगढ़ आकर अनावश्यक हाय-तौबा मचाना तथा कपोल-कल्पित आरोपों के जरिये बात का बतंगड़ बनाने की ओछी कोशिश इसी प्रयास का हिस्सा है। कांग्रेस के इन हथकंडों को जनता भली-भांति समझ रही है।
पिछले कार्यकाल में रायगढ़ का विकास अवरूद्ध रहा
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पिछले कार्यकाल में प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तरह ही रायगढ़ का विकास भी पूरी तरह अवरुद्ध रहा। वायदे तो बड़े-बड़े किये गये थे , लेकिन आर्थिक अराजकता व भ्रष्ट कार्यशैली के कारण कांग्रेस रायगढ़ में विकास की एक ईंट भी नहीं रख पायी। अब जबकि ओ पी चौधरी बहुत सक्रियता के साथ रायगढ़ को विकसित करने में जुटे हुये हैं तो कांग्रेस अराजकता फैलाकर उन्हें बदनाम करने का असफल प्रयास कर रही है। गरीबों के मकान से लेकर आदिवासियों की जमीनों तक, किसानों के मेढ़ व खेत के रकबे से गाय के गोठान तक, गरीबों के राशन से लेकर अस्पताल की दवाइयों तक जमकर भ्रष्टाचार करके गरीबों का हक छीनने वाले कांग्रेस के नेता आज गरीबों का मसीहा बनने का नाटकीय प्रयास कर रहे हैं।
ओपी चौधरी ने अंचल के विकास लिए अभूतपूर्व कदम उठाए
समय साक्षी है कि डेढ़ वर्ष के अल्प कार्यकाल में ओ पी चौधरी ने इस अंचल के विकास हेतु जो अभूतपूर्व कदम उठाये हैं उसके केंद्र में हमेशा गरीब व वंचित वर्ग का सामाजिक व आर्थिक उत्थान ही प्रमुख बिंदु रहा है। एक चाय बेचने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति को महापौर बनाकर उन्होंने गरीबों की सत्ता में सीधी भागीदारी के लिये अपनी प्रतिबद्ध सोच का परिचय दिया है। शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने हेतु मेरिन ड्राइव निर्माण शहर के व्यापक हित के लिये एक आवश्यक कदम है। वार्डवासियों की मांग पर चौड़ाई भी कम कर दी गयी ताकि कम से कम लोग प्रभावित हों। साथ ही इसे मूर्त रूप देने में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि विस्थापितों को त्वरित व पर्याप्त व्यवस्थापन दिया जाये। प्रशासन आगे भी प्रभावितों को हर तरह की मदद के लिये संकल्पित है।
भाजपा नेता मुकेश जैन की ओर से जारी विज्ञप्ति में आरोप लगाया गया है कि अधिकांश लोग इन व्यवस्थाओं से संतुष्ट हैं लेकिन कांग्रेस कतिपय भोले-भाले लोगों को उकसाकर उन्हें मोहरे की तरह इस्तेमाल करने का राजनीतिक षडयंत्र कर रही है। बातों को अतिरंजित ढंग से प्रस्तुत करके मासूम लोगों की भावनाओं को भड़काना शहरवासियों के व्यापक हित पर कुठाराघात करना है। विकास विरोधी तत्वों के भ्रामक प्रचार में फंसने की बजाय आम लोग आश्वस्त रहे कि विष्णुदेव साय के सुशासन व ओ पी चौधरी के नेतृत्व में प्रभावितों सहित सभी वर्ग की समस्याओं का समुचित समाधान होगा और किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। कांग्रेस को भी विकास विरोधी व अराजक राजनीति से बाज आ जाना चाहिये और जिम्मेदार विपक्ष की तरह वास्तविक व सही मुद्दों की तलाश करनी चाहिये अन्यथा उनकी बची-खुची राजनीतिक जमीन भी खिसकने में देर नहीं लगेगी।