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Raigarh News : सभापति पद के संकेत दे गये ओपी चौधरी! वरिष्ठ और अनुभवी पार्षदों की सराहना का क्या है राज? पढ़िए पूरी खबर

by P. R. Rajak
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आशीष,पंकज, डिग्री,नारायण या सुरेश किसकी निकलेगी लाटरी ? ओपी चौधरी के उद्बोधन से निकाले जा रहे मायने

Raigarh News: रायगढ़ नगर निगम के नवनिर्वाचित महापौर और पार्षदों के शपथग्रहण समारोह में रायगढ़ विधायक और प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने विकास की राजनीति का जो खाका बताया उसमें संकेत छिपे होने के कयास लगाए जा रहें हैं। करीब 24 साल तक आईएएस अधिकारी के तौर पर सेवा देने के बाद राजनीति में आने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति में और बेहतर सेवा की जा सकती है। रायगढ़ के विधानसभा चुनाव में 65 हजार से प्रचंड जीत का आशीर्वाद जनता ने दिया। जनता का कर्जदार होने के नाते रायगढ़ का विकास करना मेरी पहली प्राथमिकता है।

उन्होंने कहा कि मैं अपने बलबूते आईएएस अधिकारी बना, परन्तु जनता के बलबूते मुझे वित्त मंत्री बनने का सौभाग्य मिला। जनता के आशीर्वाद से यह पद मिला, जिससे मेरा दायित्व बनता है कि आमजन की भावना के अनुरूप विकास के कार्य हों। रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी ने अपने उद्बोधन में पार्षद चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वार्ड पार्षद का चुनाव बेहद कठीन चुनाव होता है।और रायगढ़ में अनेक पार्षद चार बार, पांच बार, छः बार चुनाव जीत कर आए हैं। उन्होंने कहा कि यह जीत उन पार्षदों की जनता के प्रति जवाबदेही की प्रमाणिकता को दर्शाता है। कुछ लोग एक बार चुनाव नहीं जीत पाते और कुछ ऐसे भी हैं जो चार, पांच और छः बार चुनाव चुनाव जीत कर आए रहे हैं। उनके इस कथन को नगरनिगम में कई बार के अनुभवी पार्षदों की सभापति पद के लिए प्रबल दावेदार होने के संकेत के तौर पर लिया जा रहा है।

शपथग्रहण समारोह में ओपी चौधरी ने ऐसे पार्षदों के तारीफों के कसीदे पढ़े। इसके मायने निकाले जा रहे हैं कि अनुभवी और वरिष्ठ पार्षदों पर पार्टी की नजर है। बताया जाता है कि सभापति का चुनाव नगरनिगम के प्रथम सम्मिलन में 10 तारीख को होना है। महापौर जीवर्धन चौहान की शहर सरकार के सुचारू संचालन के लिए सभापति पद पर आसीन व्यक्ति के अनुभवी और कुशल नेतृत्व क्षमता का दृष्टिकोण विकास की राजनीति के लिए उपयुक्त माना जा सकता है। ऐसे भाजपा के वरिष्ठ और अनुभवी पार्षदों में आशीष ताम्रकार, पंकज कंकरवाल, नारायण पटेल, डिग्री लाल साहू, महेश शुक्ला पर नजरें इनायत होने की संभावना बढ़ जाती है। पार्टी किस पैमाने से सभापति पद के उपयुक्त प्रत्याशी का चयन करती है,यह उसका अंदरुनी मामला है। राजनीति में संकेतों का खासा महत्व होता है, अब इसे किसके लिए आशीष माना जाए?


सलीम का जिक्र ऐसे ही नहीं आया?

राजनीति में किसी का जिक्र ऐसे ही नहीं किया जाता, उसके कुछ मतलब होते हैं। शपथग्रहण समारोह में रायगढ़ विधायक और वित्त मंत्री द्वारा विरोधी दल के वरिष्ठ पार्षद का यह कह कर जिक्र करना कि उन्हें हराने भाजपा ने पूरा जोर लगाया गया, उसके बाद भी कांग्रेस के सलीम जीत गए। यह कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद की जनता के बीच जबरदस्त लोकप्रियता और स्वीकार्यता है। वित्त मंत्री का अपने अंदाज चिर परिचित अंदाज में यह कहना कि यही लोकतंत्र है, जनता को अपना नेता चुनने का अधिकार है।यह रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी को कुशल राजनीतिज्ञ की श्रेणी में ले जाता है।

उन्होंने कहा कि वे वोट की राजनीति के बजाय विकास की राजनीति पर विश्वास करते हैं। निगम में कांग्रेस की शहर सरकार के पिछले डेढ़ साल का जिक्र करना कि उन्हें शहर विकास में पूरा सहयोग मिला। ऐसे ही सहयोग की उम्मीद विपक्षी दल उन्होंने की। उन्होंने कहा रायगढ़ में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कर सभी वार्डों का विकास करना हम सब की जिम्मेदारी है। वित्त मंत्री के इस उद्बोधन के मायने निकाले जा रहे हैं, राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा विकास की राजनीति के वादे से लंबी राजनीतिक पारी के लिए पिच तैयार करना चाहती है।


सदन में मजबूत विपक्ष से सामना!

नगरनिगम में सत्ता परिवर्तन के साथ आम शहरी की उम्मीदें भी बढ़ गई है। जिससे शहर सरकार के लिए आमजनता की उम्मीदों पर खरा उतरना बड़ी चुनौती रहेगी। रायगढ़ नगरनिगम में ट्रिपल इंजन की सरकार के सामने कांग्रेस एक मजबूत विपक्ष की तरह पेश आ सकती है। सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस के दिग्गज और अनुभवी पार्षदों के सवालों का संतोषजनक जवाब देने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष पर होगी। इस तरह की चुनौतियों से निपटने भाजपा को सदन के मुखिया का चयन करने में सक्षम नेतृत्व क्षमता को ध्यान में रखने की जरूरत महसूस की जा रही। इस बार नगरनिगम के सदन में हर मुद्दे पर घमासान बहस से इंकार नहीं किया जा सकता। और सत्तारूढ़ भाजपा हर बहस से सकारात्मक परिणाम की उम्मीद करेगी। विपक्षी दल कांग्रेस जनहित के मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष पर दबाव बनाने लामबंद रह सकती है। ऐसे में सदन का नेतृत्व भाजपा अनुभवी और सूझबूझ वाले वरिष्ठ पार्षद को सौंप कर विकास की राजनीति को धरातल पर उतारने की रणनीति बना सकती है।

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