Raigarh News: नगरनिगम चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के बाद अब नई रणनीति के साथ नगरनिगम की राजनीति में उतरने की तैयारी कर सकती है। आगामी 1अप्रैल को नगरनिगम का सामान्य होना निर्धारित है,ऐसी स्थिति में कांग्रेस नगरनिगम नेता प्रतिपक्ष के पद के चयन प्रक्रिया को पूर्ण कर सकती है। बताया जाता है कि इसके लिए कांग्रेस के पास ज्यादा कुछ करने की स्थिति नहीं है, इस स्थिति में नगरनिगम नेता प्रतिपक्ष पद पर लक्ष्मी नारायण साहू की ताजपोशी होने की संभावना है।
इस बार नगरनिगम चुनाव में भाजपा ने महापौर सहित 33 वार्डों में शानदार जीत दर्ज कर रायगढ़ नगर निगम में शहर सरकार का गठन कर लिया। महापौर जीवर्धन चौहान भी पदभार ग्रहण कर कर चुके हैं। सभापति का निर्वाचन पूर्ण होने के साथ महापौर जीवर्धन चौहान की मेयर इन काउंसिल का गठन भी जल्द होने की संभावना है। महापौर, सभापति का चुनाव हारने और महज 12 वार्डों में चुनाव जीतने वाली कांग्रेस अब नई रणनीति तैयार कर सकती है। बताया जाता है कि इस बार नगरनिगम चुनाव में कई दिग्गज पार्षदों को हार का सामना करना पड़ा। बाबजूद इसके नगरनिगम के इस कार्यकाल में अनेक चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
कांग्रेस से पूर्व सभापति जयंत ठेठवार, पूर्व सभापति सलीम नियारिया, लक्ष्मी नारायण साहू, अमृत काटजू, प्रदीप चंद्र टोप्पो एक बार फिर चुनाव जीत कर आए हैं। हालांकि भाजपा में भी अनेक बार चुनाव जीत कर फिर से निगम पहुंचे वरिष्ठ पार्षदों की संख्या भी कम नहीं है। आशीष ताम्रकार, पंकज कंकरवाल, पूर्व सभापति सुरेश गोयल, पूनम सोलंकी, नारायण साहू, महेश शुक्ला जैसे अनुभवी लोग इस बार भी भाजपा से चुनाव जीते हैं। भाजपा के वरिष्ठ पार्षद डिग्री लाल साहू सभापति निर्वाचित हुए हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस से सभापति प्रत्याशी रहे लक्ष्मी नारायण साहू को नगरनिगम नेता प्रतिपक्ष का दायित्व सौंपा जा सकता है। बताया जाता है कि कांग्रेस के सिर्फ 12 पार्षद होने और हार निश्चित होने की स्थिति में भी लक्ष्मी नारायण साहू ने सभापति पद के लिए प्रत्याशी बनना स्वीकार किया।

बताया जाता है कि कांग्रेस, सभापति चुनाव में भाजपा को वाक -ओव्हर नहीं देना चाहती थी। वह हार हाल में चुनाव होने और मतदान कराने के पक्ष में रही। यही वजह है कि लक्ष्मी नारायण साहू सभापति का चुनाव लड़ने सहर्ष तैयार हो गए थे। माना जा रहा है कि सभापति का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस लक्ष्मी नारायण साहू को नेता प्रतिपक्ष पद से नवाज सकती है। राजनीति के जानकार भी मान रहे हैं कि कांग्रेस ऐसा निर्णय लेकर अपने अनुभवी पार्षद को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंप कर नगरनिगम में विपक्ष के महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करने के लिए रणनीति तैयार कर सकती है। अब देखना है कि कांग्रेस नगरनिगम की सामान्य सभा से पहले नेता प्रतिपक्ष का चयन करती है या इंतजार करना पड़ेगा?