रायगढ़। कोतरा रोड स्थित श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर परिसर में 377वां महाराजा छत्रसाल प्राकट्य उत्सव अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। बुंदेलखंड के गौरव, धर्मरक्षक और राष्ट्रसेवक महाराजा छत्रसाल की पुण्य स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी। कार्यक्रम की शुरुआत संध्या 6 बजे भजन संध्या से हुई, जो रात्रि 11 बजे तक चली। भजन गायिका रीमा खेड़िया और सरिता प्रणामी ने अपनी मधुर और भक्ति भाव से परिपूर्ण प्रस्तुतियों से ऐसा सुर-संगीत रचा कि समस्त भक्तगण भजन रस में पूर्णतः डूब गए।इस अवसर पर महाराजा छत्रसाल के जीवन, उनके त्याग, वीरता और आध्यात्मिक समर्पण का भावपूर्ण स्मरण किया गया। विशेष रूप से यह बताया गया कि किस प्रकार छत्रसाल जी ने अपने गुरु स्वामी श्री प्राणनाथ जी से आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त कर धर्म रक्षा के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था।
स्वामी जी द्वारा छत्रसाल जी को उनके परमधाम स्वरूप का बोध कराते हुए उन्हें धामधनी के रूप में स्वीकार करना, इतिहास की एक अलौकिक घटना है।छत्रसाल जी द्वारा धर्म और राष्ट्र की सेवा में दी गई कुर्बानियों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हुए यह भी बताया गया कि उन्होंने औरंगज़ेब के विरुद्ध 100 से अधिक युद्ध लड़े और बुंदेलखंड को मुग़ल अत्याचारों से मुक्त कराया। कार्यक्रम के अंत में प्रसाद रूप में भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें लगभग 1000 भक्तों ने भाग लेकर प्रसाद ग्रहण किया।इस अवसर पर श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर कोतरा रोड के नव निर्माण कार्य की प्रगति की जानकारी भी दी गई। यह आशा व्यक्त की गई कि आगामी वर्ष में मंदिर का निर्माण पूर्ण हो जाएगा। सभी श्रद्धालुजनों से अनुरोध किया गया कि वे निर्माण कार्य में यथासंभव सहयोग करें और अपने जीवन को प्रभु चरणों में समर्पित कर आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हों। यह प्राकट्य उत्सव श्रद्धा, सेवा और भक्ति का एक अनुपम संगम बनकर सभी उपस्थित जनों के हृदय में स्थायी छाप छोड़ गया।