रायगढ़। अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट बनोरा की मुख्य शाखा रायगढ़ में आज पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम के महानिर्वाण दिवस पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल, वृद्धाश्रम, मुखबधिर आश्रम, मूक बघिर आश्रम से जुड़े अनुयायियों ने यहां निवास रत लोगो के मध्य फल वितरण किया। अघोरेश्वर के महानिर्वाण दिवस पर बनोरा आश्रम में शहरवासियों की भीड़ जुटी रही। शहरवासियों आस पास के ग्राम वासियों सहित राज्य भर से आए अनुयाइयों ने उपासना स्थल पर मौजूद पूज्य अघोरेश्वर की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर उनका स्मरण किया उसके बाद भंडारे में कतार बद्ध होकर प्रसाद ग्रहण किया।
बनोरा आश्रम में दिन भर भजन कीर्तन के साथ विविध कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। महानिर्वाण दिवस पर जरूरत मंदो के मध्य दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्री वितरित की गई। शहर में उनका पुण्य स्मरण करते हुए प्रसाद वितरण किया गया। दशकों बाद भी अघोरेश्वर के विचार आज भी समाज के लिए प्रासंगिक है। अघोरेश्वर भगवान राम के महानिर्वाण दिवस पर पुण्य स्मरण करते हुए अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा में निर्धारित समय के अनुसार प्रात: 8.30 बजे भगवान राम की सामूहिक आरती की गई
इसके बाद आस पास से आए श्रद्धालुओं द्वारा प्रात: 9 बजे सफल योनी का पाठ किया गया। इसके बाद अपरान्ह 12 से 3 बजे तक प्रसाद वितरण किया गया। आश्रम प्रबंधन से जुड़े श्रद्धालुओ के द्वारा प्रात: शासकीय जिला चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज के मेल वार्ड, फिमेल वार्ड, आर्थो वार्ड, गायनिक वार्ड, टीवी वार्ड, मेल-फिमेल सर्जिकल वार्ड सहित मातृ शिशु अस्पताल के मरीजों के मध्य फल वितरित किया गया। मूकबधिर नई उम्मीद घरौंदा वृद्धाआश्रम में कुष्ट आश्रम जुर्डा में मौजूद लोगों के मध्य प्रसाद स्वरूप ब्रेड, सेव फल, बिस्कुट, का वितरण किया गया। कुल 670 लोगों के मध्य फल वितरीत किया गया ।
रायगढ़ बनोरा आश्रम में डिपापारा, बनोरा, बेलरिया, डूमरपाली, महापल्ली, लोईग, विश्वनाथपाली, भोजपल्ली, कोसमपाली, खैरपाली, सकरबोगा, नावापारा, कुकुर्दा, साल्हेओना, से आए 304 महिलाओ, 102 पुरुषों सहित कुल 406लोगो के मध्य कंबल, धोती-साड़ी, दो-दो नग साबुन का वितरण आश्रम परिसर में किया गया। केवड़ा बाड़ी बस स्टैण्ड में भी तीन दशकों से सर्वेश्वरी समूह से जुड़े अनुयायियों द्वारा महाभण्डारा का आयोजन किया गया था। यहां दिन भर प्रसाद वितरण जारी रहा। भगवान अघोरेश्वर राम का जीवन राष्ट्र निर्माण एवं पीडि़त मानव की सेवा के लिए समर्पित रहा। शमशान से समाज की ओर बनाई गई उनकी अवधारणा के जरिए अघोरेश्वर ने मनुष्य की वैचारिक रूप से मजबूत करने का प्रयास किया। अघोरेश्वर द्वारा स्थापित 14 सूत्रीय उद्दश्यो की झलक अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा में दिखाई पड़ती है।
अघोरेश्वर के शिष्य बाबा प्रियदर्शी राम जी का जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित है। बनोरा आश्रम की सभी शाखाये जीवन की मूलभूत आवश्यकता चिकित्सा शिक्षा की बुनियादी सुविधा अंतिम पंक्ति में खड़े बेबस लोगों तक पहुंचाने के संकल्पित है। आध्यात्मिक चेतना जागृत करने की दिशा में बनोरा आश्रम विशेष रूप से प्रत्यनशील है। छत्तीसगढ़ राज्य में रायगढ़ डभरा शिवरीनारायण अंबिकापुर चिरमिरी के सरभोका स्थित आश्रमों में चिकित्सीय सहायता के जरिए पीडि़त मानव की सेवा का कार्य निरंतर जारी है।
अघोरेश्वर के अवतरण दिवस पर संदेश देते हुए पूज्य बाबा ने कहा अघोर पंथ जाति पाति धर्म विशेष एवम छुआ छूत जैसी भावनाओ को अनुचित मानता है।अघोर पंथ को लेकर नशे के प्रचलन को मिथ्या बताते हुए प्रियदर्शी राम जी ने नशे के खिलाफ हमारा अभियान अनवरत जारी है। अघोर पंथ नशे से बचने का आह्वान करता है। पूज्य अघोरेश्वर के अवतरण दिवस पर आशीर्वचन के दौरान पूज्य पाद प्रियदर्शी राम जी ने कहा महापुरुषो का सानिध्य कई जन्मों के पुण्य प्रताप से मिलता है संतो का सानिंध्य मानव जीवन के लिए सौभाग्य भी है। महानिर्वाण दिवस पर उनके जीवन से जुड़े प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए कहा बाल्यकाल में घर का परित्याग करने वाले अघोरेश्वर ने अत्यधिक कठोर साधना के जरिए अर्जित शक्तियों से समाज के वंचितों शोषितो दिन दुखियो का दुख दर्द दूर किया। सिर्फ स्कूली शिक्षा से मानव कल्याण की बुनियाद नही रखी जा सकती इसलिए उन्होंने सांसारिक बंधनों का परित्याग करते हुए साधना के मार्ग का चयन कर पूर्ण सिद्धि हासिल की।समाज में फैली विकृतियों आडंबरों की वजह से आम लोग परेशान थे नवयुवकों में भटकाव आ रहा था जिसे अघोरेश्वर ने समझते हुए नवयुवकों को संकल्प बद्ध किया कि वे राष्ट्र को प्रथम समझेंगे, नशे का सेवन नहीं करेंगे, बिना तिलक दहेज के विवाह करेंगे, अनैतिक कार्य नहीं करेंगे,संस्था से जुडकऱ संस्था के विचारों को आत्मसात कर उसे जीवन में उतारेंगे विद्या अध्ययन के बाद आत्मनिर्भर बनेंगे और समाज की सेवा हेतु अपना जीवन समर्पित करेंगे। संतो के सानिध्य मात्र से व्यक्ति निंदा क्रोध लोभ मोह जैसी बुराइयों से दूर होने लगता है। अघोरेश्वर महाप्रभु जीवन में पंचशील के पालन को महत्व देते रहे। संत महात्माओं के पास जाने वाले लोगों के विचार में ठहराव को आवश्यक बताते हुए कहा वैचारिक ठहराव के बिना संतो का सानिध्य निरर्थक हो जाता है।
पूज्य अघोरेश्वर ने बताया मानव सेवा ही माधव सेवा- बाबा प्रियदर्शी
औघड़ की मड़ई जिगना में बाबा प्रियदर्शी राम जी ने पूज्य अघोरेश्वर के महानिर्वाण दिवस पर आशीर्वचन के दौरान कहा अघोरेश्वर ने मानवता, समाज सेवा और व्यवहारिक अध्यात्म पर जोर दिया। उन्होंने संदेश दिया कि मानवता ही परम धर्म है और सभी मनुष्य को मन, वचन और कर्म से मनुष्यता का निर्वहन करना चाहिए। ईश्वर की भक्ति अंधविश्वास पर आधारित नहीं होनी चाहिए। पूज्य अघोरेश्वर पीडि़त मानव सेवा की सबसे बड़ी मिशाल माने जाते है क्योंकि उन्होंने कृष्ठ बीमारी की वजह से घर से बहिष्कृत रोगियों को गले लगाते हुए यह प्रेरणा दी की रोग से घृणा करो रोगियों से नहीं।
बनोरा में दर्शन करने उमड़ा भक्तगणों का हुजूम, शहर में हुए विविध आयोजन
पूज्य अघोरेश्वर के महानिर्वाण दिवस पर शहरवासियों ने किया पुण्य स्मरण
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