रायपुर। एनआईटी चौपाटी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। दुकानें भले ही आमानाका में शिफ्ट कर दी गई हैं, लेकिन विपक्ष इसे लेकर लगातार सरकार पर हमलावर है। आज कांग्रेस नेताओं ने डिप्टी सीएम अरुण साव से मुलाकात की। इस दौरान 7 दिनों के भीतर जांच कमेटी गठित करने की मांग की गई। कांग्रेस का आरोप है कि अधिकारियों ने पहले इस चौपाटी को अनुमति दी और अब वही अधिकारी इसे अवैध बताकर तोड़ रहे हैं।
कांग्रेस का कहना है कि भाजपा के एक नेता की जिद की वजह से छोटे व्यापारियों का हक मारा जा रहा है और जनता के पैसों की बर्बादी हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर 7 दिनों के भीतर इस मामले में कार्रवाई नहीं की गई, तो मुख्यमंत्री निवास का घेराव किया जाएगा। चौपाटी का डिज़ाइन और अनुमोदन नगर निगम के अधिकारियों ने ही स्वीकृत किया था। अगर यह अवैध था, तो डिज़ाइन स्वीकृति किस आधार पर दी गई? संरचना सालों तक बिना आपत्ति के कैसे चलती रही? अब अचानक इसे अवैध बताना प्रशासन की लापरवाही और अपनी गलती छिपाने का प्रयास प्रतीत होता है।
क्षेत्रीय विधायक के दबाव में अधिकारी जल्दबाजी में कार्रवाई कर रहे हैं। बिना उचित कारण, बिना सुनवाई, और बिना प्रक्रिया के रोजगार छीनना अत्यंत असंवेदनशील है। प्रशासन का यह रवैया न केवल गलत है, बल्कि यह दर्शाता है कि नौकरी छीनना अधिकारियों का पहला कदम नहीं होना चाहिए। अगर चौपाटी हटाने का कारण स्कूल–कॉलेज हैं, तो बूढ़ापारा चौपाटी, जहां कई स्कूल और शिक्षण संस्थान हैं, वहां कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? यह साफ दर्शाता है कि राजनीतिक कारणों से कुछ स्थानों पर दबाव डाला जा रहा है, जबकि अन्य स्थानों पर चुप्पी साधी जा रही है। रायपुर पश्चिम विधायक की ओर से बिना पानी की उपलब्धता के 24 करोड़ की पाइपलाइन बिछाई गई, लेकिन आज भी उस लाइन में पानी नहीं पहुंच रहा। यह शासकीय धन का दुरुपयोग और जनता को धोखा देने का मामला है। इस परियोजना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। नगरीय प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, जिन्होंने जनहित की अनदेखी की और राजनीतिक दबाव में काम किया।
अगर 7 दिनों के भीतर इन मुद्दों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेता लोकतांत्रिक तरीके से मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे। रायपुर में 10 करोड़ रुपए खर्च करके चौपाटी का विकास किया गया था, लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद इसे हटाने और नालंदा-2 बनाने की योजना पर काम तेजी से शुरू हुआ। नवंबर 2025 में नगरीय प्रशासन ने नालंदा-2 के लिए टेंडर पूरा कर लिया और 15 नवंबर से चौपाटी शिफ्टिंग की तारीख तय कर दी। हालांकि, इससे पहले ही रेलवे ने 32 दुकानदारों को नोटिस भेजकर जमीन पर अपना दावा जताया। इस विवाद को लेकर नगर निगम और रेलवे के बीच बातचीत जारी है, ताकि जल्द इस मामले का समाधान निकाला जा सके।
एनआईटी चौपाटी मामले में विपक्ष करेगा सीएम हाउस का घेराव
डिप्टी सीएम साव से मिलने पहुंचे विपक्ष के नेता, 7 दिन में जांच कमेटी गठित करने की मांग
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