घरघोड़ा। रायगढ़ जिले के घरघोड़ा तहसील अंतर्गत आने वाले प्रसिद्ध द्वारी माँ मंदिर परिसर का हरा-भरा जंगल, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और शांति का प्रतीक माना जाता है।इन दिनों आरा मशीनों की गड़गड़ाहट और कुल्हाड़ियों के वार से कराह रहा है। जिस पावन स्थल पर नवरात्रि में हजारों भक्त माता के चरणों में शीश झुकाते हैं, वहीं आज पेड़ों को जड़ों समेत काटकर धराशायी किया जा रहा है।भक्तों और ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल जंगल की कटाई नहीं, बल्कि हमारी आस्था पर कुठाराघात है। जिस रास्ते से श्रद्धालु मंदिर तक पहुँचते हैं, वहाँ की ठंडी छाँव, पक्षियों की चहचहाहट और पवित्र वातावरण अब उजड़ता जा रहा है।

मंदिर परिसर की पहचान और दिव्यता को नष्ट करने की यह नापाक कोशिश श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ है।स्थानीय लोगों द्वारा उपलब्ध कराए गए वीडियो क्लिप्स में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से बड़ी संख्या में हरे-भरे वृक्षों को काटकर बाहर ले जाया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब मिलीभगत से हो रहा है और प्रशासन चुपचाप मूकदर्शक बना हुआ है।पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यह जंगल केवल पेड़ों का समूह नहीं, बल्कि क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ है। यहाँ से कटे पेड़ों के साथ-साथ असंख्य पक्षियों का घर उजड़ जाएगा, जंगली जानवरों का आश्रय खत्म हो जाएगा और आने वाले वर्षों में घरघोड़ा क्षेत्र को सूखा, गर्मी और पर्यावरणीय आपदा का सामना करना पड़ेगा।
श्रद्धालु और ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि इस अवैध कटाई पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई तो बड़ा जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा। उनका कहना है कि “द्वारी माँ मंदिर का जंगल हमारी आस्था की ढाल है, इसे उजाड़ने की इजाजत किसी को नहीं देंगे।” यह मामला सिर्फ जंगल काटने तक सीमित नहीं है, यह संस्कृति, पर्यावरण और विश्वास की रक्षा का प्रश्न है। अगर अभी आवाज़ नहीं उठी तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें माफ़ नहीं करेंगी।


