Home रायगढ़ जगन्नाथ रथ यात्रा: आस्था और समर्पण का प्रतीक -रतन शर्मा

जगन्नाथ रथ यात्रा: आस्था और समर्पण का प्रतीक -रतन शर्मा

by P. R. Rajak Chief Editor
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*जगन्नाथ रथ यात्रा: आस्था और समर्पण का प्रतीक -रतन शर्मा*

बरमकेला।सुप्रसिद्ध समाजसेवी रतन शर्मा ने जगन्नाथ रथ यात्रा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजन भी है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को पुरी के जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाने के लिए निकाली जाती है।इस तरह की रथ यात्रा सम्पूर्ण ओड़िसा के साथ साथ ओड़िसा के सीमांचल छत्तीसगढ़ के अधिकतर जिलों में भी निकाली जाती है।भगवान जगन्नाथ के प्रति लोगों में अपार आस्था है।जिसके कारण बरमकेला सहित आसपास के गांवों में अपार उत्साह है।
श्री रतन शर्मा ने बताया कि जगन्नाथ रथ यात्रा का उद्गम भगवान कृष्ण, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा द्वारा अपने पूर्वजों के शहर द्वारका में रथ पर सवारी करने की कथा से माना जाता है।
यह यात्रा एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व भी है, जो लोगों को अपने साझा विश्वासों और परंपराओं को मनाने के लिए एक साथ आने का अवसर प्रदान करती है।
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं, जिन्हें लाखों भक्त अपने हाथों से खींचते हैं।
रथ यात्रा के दौरान कई नियम और परंपराएं होती हैं, जैसे कि रथों का निर्माण नीम की लकड़ी से किया जाता है और इसमें कोई कील या धातु का उपयोग नहीं होता है।
इस अवसर पर समाजसेवी
श्री रतन शर्मा ने कहा कि जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। यह पर्व हमें भगवान जगन्नाथ की भक्ति और आस्था के महत्व को समझने और अपने जीवन में उतारने का अवसर प्रदान करता है। मैं आशा करता हूं कि यह यात्रा हमें सभी को एक साथ लाएगी और हमारे समाज को और मजबूत बनाएगी।”बरमकेला।सुप्रसिद्ध समाजसेवी रतन शर्मा ने जगन्नाथ रथ यात्रा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजन भी है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को पुरी के जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाने के लिए निकाली जाती है।इस तरह की रथ यात्रा सम्पूर्ण ओड़िसा के साथ साथ ओड़िसा के सीमांचल छत्तीसगढ़ के अधिकतर जिलों में भी निकाली जाती है।भगवान जगन्नाथ के प्रति लोगों में अपार आस्था है।जिसके कारण बरमकेला सहित आसपास के गांवों में अपार उत्साह है।
श्री रतन शर्मा ने बताया कि जगन्नाथ रथ यात्रा का उद्गम भगवान कृष्ण, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा द्वारा अपने पूर्वजों के शहर द्वारका में रथ पर सवारी करने की कथा से माना जाता है।
यह यात्रा एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व भी है, जो लोगों को अपने साझा विश्वासों और परंपराओं को मनाने के लिए एक साथ आने का अवसर प्रदान करती है।
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं, जिन्हें लाखों भक्त अपने हाथों से खींचते हैं।
रथ यात्रा के दौरान कई नियम और परंपराएं होती हैं, जैसे कि रथों का निर्माण नीम की लकड़ी से किया जाता है और इसमें कोई कील या धातु का उपयोग नहीं होता है।
इस अवसर पर समाजसेवी
श्री रतन शर्मा ने कहा कि जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। यह पर्व हमें भगवान जगन्नाथ की भक्ति और आस्था के महत्व को समझने और अपने जीवन में उतारने का अवसर प्रदान करता है। मैं आशा करता हूं कि यह यात्रा हमें सभी को एक साथ लाएगी और हमारे समाज को और मजबूत बनाएगी।”

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