तिल्लाना, वेल्लियंबलम, कंचदलायताशी, वीडेमीथिल और आलारिप्पु की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
रायगढ़। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह 2025 के सातवें दिन शास्त्रीय नृत्य भारतनाट्यम की अद्भुत छटा मंच पर बिखरी। चेन्नई की प्रतिष्ठित कलाक्षेत्र फाउंडेशन ने अपनी मोहक प्रस्तुतियों से दर्काशकों दिल जीत लिया। कलाकारों ने कार्यक्रम की शुरुआत एकताल आलारिप्पु से की। इसके बाद तिल्लाना, भगवान शिव को समर्पित वेल्लियंबलम, कंचदलायताशी, वीडेमीथिल और नमस्कारम जैसी पारंपरिक विधाओं की प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गहराई और भव्यता से रूबरू कराया।

प्रस्तुतकर्ताओं में के.एम. जयकृष्णन, रूपेश पी.पी., कुमारी अनघा बाबू, कुमारी मानसी के. भटकांडे, कुमारी गोपिका वसंत, कुमारी कृष्णा के.एम. और कुमारी ए. शिवगंगा शामिल रहे। उनकी भाव-भंगिमाओं, ताल-लय की सुंदर संगति और सधी हुई मंचीय प्रस्तुति ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को भावविभोर कर दिया। कलाक्षेत्र फाउंडेशन के कलाकारों ने भरतनाट्यम की परंपरा और भावाभिव्यक्ति का ऐसा संगम प्रस्तुत किया, जिसने चक्रधर समारोह की गरिमा को और भी ऊँचाई प्रदान की।बता दें कि कला क्षेत्र फाऊंडेशन चेन्नई की स्थापना देश की विख्यात नृत्यांगना रुक्मिणी देवी अरुंडेल ने भारत की शास्त्रीय कलाओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की थी।

भरतनाट्यम तमिलनाडु दक्षिण भारत का एक प्राचीन शास्त्रीय नृत्य है, जिसकी जड़ें मंदिरों में हैं और यह हिंदू धर्म की आध्यात्मिक विचारों और धार्मिक कहानियों को व्यक्त करता है। यह शब्द भाव (अभिव्यक्ति), राग (संगीत), ताल (लय) और नाट्यम (नृत्य) से बना है। भरतनाट्यम में हाथों के हाव-भाव (मुद्रा), चेहरे के भाव (नवरस), और पैर की तालबद्ध चाल का उपयोग कहानी कहने और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
